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इंसानियत

 और "मानवता और मानवता" और _______________________ एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था।  एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है। '' "ठीक है, तू थोड़ा देर इंतजार कर। मैं अभी भोजन के बारे में हुमण आता हूं।" कहते हुए गिद्ध उड़ाने को उद्धृत करते हुए।  तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है। '' "ठीक है, मैं देखता हूं। '' कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने बेटे का सिर सहलाया और बस्ती की उड़ती चली गई। बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंदराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली।  थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुँच गया।  उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपको इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए? ' पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया।  वह बोला, "ठीक है, तू।" थोड़ी देर प्रतीक्षा करें। '' कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया।  उसने इधर-उधर बहुत खोजा, उस पर कामयाबी नहीं मिल

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