माँ के सपने

माँ के सपने

पूछा नहीं मैंने कभी ,मां आज बतलाओ ना
कुछ अपने सपनो की झलक हमकोभी दिखला ओ ना

छोड़ो कल आज की फ़िक्र तुम
अपने ख्वाबों के महल में हमको भी घुमाओ ना

कहीं दूर पहाड़ों पर घूमना ..............
कहीं बेफिक्र होकर बेहिजक झूमना....

चाट के ठेले पर पुरानी सहेलियों को बुलाना......
बातो के पिटारे से महफ़िल को सजाना ..

ऐसा ही कुछ ख्याल रखती हो ना.......
पुरानी यादों के गुलदस्ते में खुद को टटोलती हो ना

पूछा नहीं मैंने कभी ,मां आज बतलाओ ना
कुछ अपने सपनो की झलक हमको भी दिखलाओ ना

थकान होने पर मौसी के हाथों चाय का आना.....
भूख लगने पर नानी का खाना खिलाना ...

नाना की डांट से चैन की नींद सो जाना
सुबह चिड़ियों के संग चहचाना...

ऐसा ही कुछ ख्याल रखती हो ना.......
पुरानी यादों के गुलदस्ते में खुद को टटोलती हो ना

पूछा नहीं मैंने कभी ,मां आज बतलाओ ना
कुछ अपने सपनो की झलक हमको भी दिखलाओ ना

वो स्कूल का बस्ता , टिफिन और किताबे
कक्षा में अव्वल आने के सपने ...

ऐसा ही कुछ ख्याल रखती हो ना.......
पुरानी यादों के गुलदस्ते में खुद को टटोलती हो ना


बस इन यादों में सिमट कर रह गई हो ना
जिम्मेदारियों के  थैले में कैद हो गई हों ना

बेटी हूं तुम्हारी , इतना समझती हूं मां
बेफिक्र हो कर आज तुम अपना हाल सुनाओ ना

पूछा नहीं मैंने कभी ,मां आज बतलाओ ना
कुछ अपने सपनो की झलक हमको भी दिखलाओ ना

*हमेशा खुश*
            *रहना  चाहिए,*
                *क्योंकि*
           *परेशान होने से*
          *कल की मुश्किल*
            *दूर नही होती*
                *बल्कि....*
          *आज का सुकून*
           *भी चला जाता*
                 *है।*
🌼🐾🌾🌼🐾🌾🌼🌾💐
*🌹🌹👏🏻 ।। Good Morning ।। 🌹

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