Best कविता 👌👌
*तेरी बुराइयों* को हर *अख़बार* कहता है,
और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है ।
*ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है,
तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है।
*थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते,
तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है।
*गांव* चलो *वक्त ही वक्त* है सबके पास ,
तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है ।
*मौन* होकर *फोन* पर *रिश्ते* निभाए जा रहे हैं,
तू इस *मशीनी दौर* को *परिवार* कहता है ।
जिनकी *सेवा* में *खपा* देते थे जीवन सारा,
तू उन *माँ बाप* को अब *भार* कहता है ।
*वो* मिलने आते थे तो *कलेजा* साथ लाते थे,
तू *दस्तूर* निभाने को *रिश्तेदार* कहता है ।
बड़े-बड़े *मसले* हल करती थी *पंचायतें*,
तु अंधी *भ्रष्ट दलीलों* को *दरबार* कहता है ।
बैठ जाते थे *अपने पराये* सब *बैलगाडी* में ,
पूरा *परिवार* भी न बैठ पाये उसे तू *कार* कहता है ।
अब *बच्चे* भी *बड़ों* का *अदब* भूल बैठे हैं ,
तू इस *नये दौर* को *संस्कार* कहता है *।
🍁🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂
Shayri
नींदे बेकार मत करना;
दो दिन तो आएँगे खुशी से मिलने;
तीसरे दिन कहेंगे इंतज़ार मत करना!
मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही;
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही;
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो;
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही!
खफा न होना हमसे, अगर तेरा नाम जुबां पर आ जाये;
इंकार हुआ तो सह लेंगे और अगर दुनिया हंसी, तो कह देंगे;
कि मोहब्बत कोई चीज़ नहीं, जो खैरात में मिल जाये;
चमचमाता कोई जुगनू नहीं, जो हर रात में मिल जाये;
rjsuvichar. blogspot. com
🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴
क्यों डरे की ज़िन्दगी मैं क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे की बुरा होगा, बढ़ते रहे मंज़िलों की ओर हम कुछ न भी मिला तो क्या? तजुर्बा तो नया होगा।”
🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿
“जीवन में अनुभवों से सीखकर खुद को बदलने की जरूरत होती है। अगर हम बदलना बंद कर देते हैं तो एक ही जगह रुक जाते हैं। जो बदलता है वही आगे बढ़ता है।”
🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿
“आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं, और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलब्धियां भी आपकी पकड़ से परे हैं।”
🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿
और तू मेरे *गांव* को *गँवार* कहता है ।
*ऐ शहर* मुझे तेरी *औक़ात* पता है,
तू *चुल्लू भर पानी* को भी *वाटर पार्क* कहता है।
*थक* गया है हर *शख़्स* काम करते करते,
तू इसे *अमीरी* का *बाज़ार* कहता है।
*गांव* चलो *वक्त ही वक्त* है सबके पास ,
तेरी सारी *फ़ुर्सत* तेरा *इतवार* कहता है ।
*मौन* होकर *फोन* पर *रिश्ते* निभाए जा रहे हैं,
तू इस *मशीनी दौर* को *परिवार* कहता है ।
जिनकी *सेवा* में *खपा* देते थे जीवन सारा,
तू उन *माँ बाप* को अब *भार* कहता है ।
*वो* मिलने आते थे तो *कलेजा* साथ लाते थे,
तू *दस्तूर* निभाने को *रिश्तेदार* कहता है ।
बड़े-बड़े *मसले* हल करती थी *पंचायतें*,
तु अंधी *भ्रष्ट दलीलों* को *दरबार* कहता है ।
बैठ जाते थे *अपने पराये* सब *बैलगाडी* में ,
पूरा *परिवार* भी न बैठ पाये उसे तू *कार* कहता है ।
अब *बच्चे* भी *बड़ों* का *अदब* भूल बैठे हैं ,
तू इस *नये दौर* को *संस्कार* कहता है *।
🍁🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂
Shayri
नींदे बेकार मत करना;
दो दिन तो आएँगे खुशी से मिलने;
तीसरे दिन कहेंगे इंतज़ार मत करना!
मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही;
वो मुझे चाहे या मिल जाये, जरूरी तो नही;
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो;
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नही!
खफा न होना हमसे, अगर तेरा नाम जुबां पर आ जाये;
इंकार हुआ तो सह लेंगे और अगर दुनिया हंसी, तो कह देंगे;
कि मोहब्बत कोई चीज़ नहीं, जो खैरात में मिल जाये;
चमचमाता कोई जुगनू नहीं, जो हर रात में मिल जाये;
rjsuvichar. blogspot. com
🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴🌳🌴
क्यों डरे की ज़िन्दगी मैं क्या होगा, हर वक़्त क्यों सोचे की बुरा होगा, बढ़ते रहे मंज़िलों की ओर हम कुछ न भी मिला तो क्या? तजुर्बा तो नया होगा।”
🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿
“जीवन में अनुभवों से सीखकर खुद को बदलने की जरूरत होती है। अगर हम बदलना बंद कर देते हैं तो एक ही जगह रुक जाते हैं। जो बदलता है वही आगे बढ़ता है।”
🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿
“आत्मविश्वास के साथ आप गगन चूम सकते हैं, और आत्मविश्वास के बिना मामूली सी उपलब्धियां भी आपकी पकड़ से परे हैं।”
🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿🍃🌿
Comments
Post a Comment