Shayri
ठहरा रहूँ काश उस सुरमे की तरह तेरी आँखों में ...
काश उसी बंदगी में सारी उम्र गुज़ारू ...
बहें जो अश्क मैं भी बह जाऊ उसमे ही
तेरी सारी तकलीफो को अपनालू !!
काश बँधा रहूँ यूँही तेरी आदतों से
तेरी हर अदा में खुद को ढाल लूँ
निखारू तेरी खूबसूरती को और मैं
तुझ पर कही दाग सा ना रह जाऊ !!
💐
बचा लूँ तुझ को दुनिया की नजर से मैं
तेरी नज़र में कही रह जाऊँ
ठहरा रहूँ काश उस सुरमे की तरह तेरी आँखों मे
काश उसी बंदगी में सारी उम्र गुजार लूँ !!
बिना किसी चाहत के किसी को बेतहाशा चाहना ,
आसान होता है क्या इश्क निभाना !!
किसी की टूटी हुई उम्मीदों में नई हिम्मत जगाना
आसान होता है क्या ,
किसीके एहसासों में अपना नाम लिख पाना !!
अपनी जज़्बातों को खुद में समेटकर
उसके जज़्बातों को समझना ,
आसान होता है क्या किसी की आँखों के
आँसू को अपने आँखों की राह दिखाना !!
रौंदा गया हो , या चाहें ठुकरा दिया हो ...
हर पल बस उसके लिए उसके करीब होना ;
आसान होता है क्या उसका साया बनकर
उसे ही ना दिख पाना !!
बिना किसी चाहत के किसी को बेतहाशा चाहना ,
आसान होता है क्या इश्क निभाना !!
_________________❤️______________
झूठी उम्र लेके घूम रहे है लोग
बनावटी खुशिया साथ रख कर जी रहे है
रुख पर परदा डाल खुशनुमा जिंदगी का
रूह को कबका तबाह कर चुके है !
मौत से डर रहे है जब कि ज़िन्दगी इन्हें डरा रही है
करीब उन्ही को रखते है जिनसे बद्दुआ आ रही है
बोझ बनाकर खुद को खुद ही का ,
औरो पर इल्जाम लगाते है
आज के जमाने के लोग ,
जीतेजी अधमरे से रहते है !
हालातो को दोष दे अपनी गलतियों को छुपाते है
दौड़ लगी पड़ी जैसे जमाने से इनकी
ऐसा सबको दिखाते है
ना समझ कर दुनिया को समझदारी का ढोंग करते है
जीत कर भी सबकुछ हारे हुए खुद को पाते है !
इंसान होकर खुदको कमजोर पाते है ;
खुद में खुदा होने के बावजूद
किसी और कि मदत का इन्तेजार करते है !
बदलते जमाने मे खुदको बदलने की बात करते है ;
हारी हुई यादों को याद कर अपने आज को कोसते है !
तक़दीर इनकी ये खुद अपने हाथ से उलझाते है
ज़िन्दगी जीकर भी , रोज मरते रहते है !
_____________❤️____________
काश उसी बंदगी में सारी उम्र गुज़ारू ...
बहें जो अश्क मैं भी बह जाऊ उसमे ही
तेरी सारी तकलीफो को अपनालू !!
काश बँधा रहूँ यूँही तेरी आदतों से
तेरी हर अदा में खुद को ढाल लूँ
निखारू तेरी खूबसूरती को और मैं
तुझ पर कही दाग सा ना रह जाऊ !!
💐
बचा लूँ तुझ को दुनिया की नजर से मैं
तेरी नज़र में कही रह जाऊँ
ठहरा रहूँ काश उस सुरमे की तरह तेरी आँखों मे
काश उसी बंदगी में सारी उम्र गुजार लूँ !!
बिना किसी चाहत के किसी को बेतहाशा चाहना ,
आसान होता है क्या इश्क निभाना !!
किसी की टूटी हुई उम्मीदों में नई हिम्मत जगाना
आसान होता है क्या ,
किसीके एहसासों में अपना नाम लिख पाना !!
अपनी जज़्बातों को खुद में समेटकर
उसके जज़्बातों को समझना ,
आसान होता है क्या किसी की आँखों के
आँसू को अपने आँखों की राह दिखाना !!
रौंदा गया हो , या चाहें ठुकरा दिया हो ...
हर पल बस उसके लिए उसके करीब होना ;
आसान होता है क्या उसका साया बनकर
उसे ही ना दिख पाना !!
बिना किसी चाहत के किसी को बेतहाशा चाहना ,
आसान होता है क्या इश्क निभाना !!
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झूठी उम्र लेके घूम रहे है लोग
बनावटी खुशिया साथ रख कर जी रहे है
रुख पर परदा डाल खुशनुमा जिंदगी का
रूह को कबका तबाह कर चुके है !
मौत से डर रहे है जब कि ज़िन्दगी इन्हें डरा रही है
करीब उन्ही को रखते है जिनसे बद्दुआ आ रही है
बोझ बनाकर खुद को खुद ही का ,
औरो पर इल्जाम लगाते है
आज के जमाने के लोग ,
जीतेजी अधमरे से रहते है !
हालातो को दोष दे अपनी गलतियों को छुपाते है
दौड़ लगी पड़ी जैसे जमाने से इनकी
ऐसा सबको दिखाते है
ना समझ कर दुनिया को समझदारी का ढोंग करते है
जीत कर भी सबकुछ हारे हुए खुद को पाते है !
इंसान होकर खुदको कमजोर पाते है ;
खुद में खुदा होने के बावजूद
किसी और कि मदत का इन्तेजार करते है !
बदलते जमाने मे खुदको बदलने की बात करते है ;
हारी हुई यादों को याद कर अपने आज को कोसते है !
तक़दीर इनकी ये खुद अपने हाथ से उलझाते है
ज़िन्दगी जीकर भी , रोज मरते रहते है !
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